Hydra facial balm made at home.

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  Today hydra facials are in high demand and affective too . But they are too expensive.  But  taking a hydra facial from a good beauty salon is more effective because they have different equipment to do it more iffectively. But I will tell you some home remedies to get the benefits of hydra facial at home . This time I am telling you a method to make hydra facial balm,  but Ingredients needed in it you have to buy them . You can get them online easily.  * First thing I am using in this hydra facial balm is beeswax.  1. Beeswax creates a breathable barrier on the skin's surface, shielding it from external irritants like pollutants, harsh weather, and allergies.  This barrier helps to protect the skin from damage and keep it looking healthy.  2. Beeswax helps to prevent moisture loss from the skin's surface.  This helps to keep the skin hydrated, soft, and supple, especially beneficial for dry or sensitive skin.  3. It can also soothe irr...

मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा का वर्णन व महत्व ।

  नमस्कार सभी को।

मेरे पिछले ब्लॉग में मैंने मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप का वर्णन किया था। आज तीसरा नवरात्र है जिसमे मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। 


मां चंद्रघंटा पापों का नाश करती हैं और राक्षसों का वध करती हैं। मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार , त्रिशूल , धनुष और गदा रहता है। उनके सिर पर आधा चांद घंटे के आकार में विराजमान रहता है इसीलिए मां के तीसरे स्वरूप को मां चंद्रघंटा का नाम दिया गया है। 

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खड़ग संग बांद ।

घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण ।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर ।

करती विपदा शांति  हरे भक्त की पीर ।

मधुर वाणी बोलकर सबको देती ज्ञान ।

भव सागर में हूं फंसा , करो मेरा कल्याण ।

मां चंद्रघंटा की कथा इस प्रकार है कि एक समय महिषासुर नाम का असुर अपनी सेना लेकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने पोहांच गया । वह अत्यंत शक्तिशाली था । उसे वरदान प्राप्त था कि केवल एक स्त्री ही उसका अंत कर सकती है और कोई नहीं जिसके अहंकार में महिषासुर त्रिलोक पर विजय प्राप्त करना चाहता था। उस वरदान के कारण महिषासुर ने देवताओं को हरा दिया और स्वर्ग से निष्कासित कर दिया। स्वर्ग से निकाल  जाने के पश्चात देवता त्रिदेवों से सहायता मांगने पोहंचे। महिषासुर के इस कर्म से क्रोधित होकर त्रिदेवों ने एक उपाय निकाला । उन्होंने अपनी शक्ति से एक देवी को उत्तपन्न किया ।ब्राह्म , विष्णु  और महेश के मुख से एक ऊर्जा उत्पन्न हुई और एकत्र हो कर एक देवी के रूप में  अवतरित हो गईं ।


इन देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल , भगवान विष्णु ने चक्र , देवराज इंद्र ने घंटा , सूर्य देव ने तेज और तलवार , और अन्य सभी देवताओं ने अपने अस्त्र शस्त्र प्रदान किए । देवी का नाम चंद्रघंटा रखा गया। इसके पश्चात देवी महिषासुर के समक्ष उस्से युद्ध करने पोहचीं । उन्हे देखते ही महिषासुर ने उन पर प्रहार किया । दोनों में भीषण युद्ध छिड़ गया । उनके सिंह ने भीषण दहाड़ मारी, मां ने अपने धनुष से भीषण टनकार  मारी और अपने घंटे की शब्द राक्षसों को सुनाई , इन सबके स्वर से सारा संसार थिहर उठा । और कुछ समय उपरांत मां चंद्रघंटा ने महिषासुर  का वध कर दिया । तीनों लोकों में उनकी जय जय कार गूंज उठी । सभी देवी , देवताओं ने उनकी आराधना की । इस प्रकार संसार को महिषासुर के आतंक से मां चंद्रघंटा ने छुटकारा दिलाया ।

मां चंद्रघंटा का ये स्वरूप हमें यह शिक्षा देता है कि कोई चाहे कितना ही शक्तिशाली, वैभवशाली , धनवान क्यों न हो , यदि पाप और दुष्कर्म करेगा तो उसे उसका दंड किसी न किसी रूप में उसे अवश्य मिलेगा चाहे वो कितना भी घमंड करे स्वयं पर की वो कितना सामर्थ्यवान है , उसका कोई कुछ नहीं बिगाड  सकता , किंतु अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है ।धन्यवाद ।

मेरा मां चंद्रघंटा के इस रूप तथा भाव , उसके पीछे का उपदेश का वर्णन आपको कैसा लगा कॉमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं।

जय माता दी। 


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